नई दिल्ली/काठमांडू । दक्षिण एशियाई देशों में पत्रकारों के एक अंतरराष्ट्रीय संगठन सार्क जर्नलिस्ट्स फोरम का ऐतिहासिक सम्मेलन 10 और 11 जनवरी, 2023 को नोएडा एनसिआर, भारत की राजधानी में आयोजित किया जा रहा है। सार्क जर्नलिस्ट्स फोरम और गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में बिश्व के सबसे आकर्षक जगह गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के हल में ये सम्मेलन होना तय हुवा हैं।
सम्मेलन को भव्यता पूर्वक सफल कराने के लिए सार्क पत्रकार सम्मेलन आयोजन समिति के संयोजक प्रोफेसर एवम वरिष्ठ पत्रकार स्मिता मिश्र और सार्क जर्नलिस्ट्स फोरम भारत के अध्यक्ष डॉ अनिरुद्ध कुमार सुधांशु सहित सार्क जर्नलिस्ट्स फोरम के टिम बढी मिहेनत के साथ लगें हुए हैं ।बिशेष कारण से सम्मेलन के भेन्यू को दिल्ली विश्वविद्यालय, टेग बहादुर खालसा कॉलेज से गौतम बुद्ध विश्वबिद्यालय नोएडा एनसिआर मे परिवर्तन किया गया हैं । हम गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय और मिडिया अध्ययन के डीन बंदना पाण्डेय के प्रति भी इस अवसर पर बिशेष आभार और धन्यवाद प्रकट करना चाहते हैं ।
इस अवसर पर मैं दुनिया भर के उन सभी पत्रकारों को याद करना चाहूंगा जिन्होंने न्याय और स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। मैं उन सभी सम्मानित लोगों और दोस्तों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होंने हमारे संगठन को आज तक लाने में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हमारी मदद की है।सार्क पत्रकार मंच का इतिहास बहुत लंबा नहीं है, हमने इसे 2016 में शुरू किया और औपचारिक रूप से इसकी स्थापना 2019 में भारत में किया। इस मायने में, इस संगठन का जन्म दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश भारत में हुआ था और हम जिस देश में स्थापित हुए हैं, वहां नई दिल्ली में पहला अंतरराष्ट्रीय पत्रकार सम्मेलन आयोजित करने जा रहे हैं।
हमने बिहार, भारत में दो अंतर्राष्ट्रीय पत्रकार सम्मेलन आयोजित किए हैं। यदि हम उन सम्मेलनों को गिनें तो दिल्ली में आयोजित होने वाला यह सम्मेलन तीसरा है, हालांकि सार्क पत्रकार मंच की आधिकारिक स्थापना के बाद यह सम्मेलन पहला है। इस सम्मेलन के कई आयाम और विशेषताएं हैं, लेकिन मुझे लगता है कि इस सम्मेलन के लिए दो मुख्य विषयों का मार्गदर्शन करना आवश्यक है।
पहला, दक्षिण एशियाई देशों में प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पूर्ण उपयोग और दूसरा, ईस क्षेत्र में शांति की स्थापना। इस क्षेत्र में हमारे सामने कई चुनौतियां हैं लेकिन अगर इन दोनों मुद्दों को सुलझा लिया जाए तो हमें इस क्षेत्र में स्थिरता, विकास और समृद्धि हासिल करने से कोई नहीं रोक पाएगा।
स्वतंत्रता व्यक्ति के जन्म और जीवन से जुड़ी होती है और शांति के बिना स्थिरता और समृद्धि संभव नहीं है। इसलिए, मैं इस सम्मेलन को इन मुद्दों पर केंद्रित करने का आग्रह करता हूं। 21वीं सदी सूचनाओं की सदी भी है, इसलिए इस सम्मेलन में इसके इतिहास, वर्तमान और भविष्य की समीक्षा, विश्लेषण और शोध करना आवश्यक है। इस सम्मेलन में हमें समय और युग के सापेक्ष सूचना और प्रौद्योगिकी के नए तरीके से उपयोग करने के सैद्धांतिक और भौतिक पहलुओं पर गहन चर्चा कर किसी निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए।
इस सम्मेलन में इस क्षेत्र में प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उपयोग करने और शांति स्थापित करने में पत्रकारों की क्या भूमिका और योगदान होना चाहिए ? हमें किन कार्यों का सामना करना चाहिए ? हमें इनी मामले पर गहन चर्चा करके समाधान खोजने में सक्षम होना चाहिए । मुझे लगता है कि यह सम्मेलन निश्चित रूप से हमें एक समाधान देगा । हम इस सम्मेलन को उस दिशा में आगे बढ़ाने में सफल होंगे जिससे पुरे दक्षिण एशिया क्षेत्र में अशांति के बादल हटेंगा और प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हस्तक्षेप को पूरी तरह से पराजित किया जा सकेंगे ।
✍🏽लेखक सार्क पत्रकार फोरम के अध्यक्ष हैं।