मुश्किल स्थितियों में आशा बनकर उभरा सार्क जर्नलिस्ट फोरम का अंतरराष्ट्रीय सेमिनार । आज जब विश्व भारी मुश्किल स्थितियों से गुजर रहा है तो एक देश का दूसरे देश के प्रति संशय और अविश्वास चारों ओर भनभना रहा है ।
ऐसे में सार्क जर्नलिस्ट फोरम के इंडिया चैप्टर ने जब इस आयोजन का दायित्व मुझ पर डाला तो समय कम था, चुनौती भारी और रिसोर्सेस तो निल बटे सन्नाटा।
पल पल कोरोना के नए वेरिएंट से भयभीत होकर नई नई गाइडलाइंस आ रही थी। एक एक करके अपने साथी भी इस चुनौती से भयभीत होकर साथ छोड़ते गए । खाने पीने, रजिस्ट्रेशन किट आदि को मैनेज करना भारी अपेक्षाएं रखता था। एक और मैं, दूसरी ओर इंडिया चैप्टर के अध्यक्ष डॉ अनिरुद्ध और तीसरी ओर नेपाल से फोरम के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री राजू लामा जी के लिए दिन 24घंटे की बजाय शायद और बढ़ा हो गया था।
कुछ लोगो ने साथ छोड़ा था तो कुछ नए लोग ने बढ़कर हाथ थाम लिया और बंदना जी के सहयोग से गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय में दो दिन सुबह से रात तक नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और भारत के डेलीगेट्स ने तथा वर्चुअल माध्यम से अफगानिस्तान, पाकिस्तान, मालदीव,भूटान के पत्रकारों ने सार्क देशों में पत्रकारिता के माध्यम से पारस्परिक सद्भाव विकसित करने पर चर्चा की।केंद्रीय मंत्री श्री महेंद्रनाथ पांडेय,आईआईएमसी महानिदेशक प्रो संजय द्विवेदी, जीबीयू कुलपति प्रो आर के सिन्हा और तमाम पत्रकार उपस्थित रहे। आजतक के जयप्रकाश पांडेय, मीडिया स्कैन के आशीष कुमार अंशु, टाइम्स नाउ नवभारत से विद्यानाथ झा, प्रो बिजेंद्र कुमार, गरिमा श्रीवास्तव जयपुर के अतिरिक्त भारत के लगभग प्रत्येक राज्य से प्रतिनिधि उपस्थित थे।
देश विदेश के समाचारपत्रों में खूब कवरेज रही।
इसी संगोष्ठी में लोकार्पण हेतु मेरी और मेरे विद्यार्थी Dr सन्नी गोंड द्वारा लिखित पुस्तक “भारतीय खेल :समकालीन विमर्श ” को सर्व भाषा ट्रस्ट के प्रकाशक केशव पांडेय जी ने मात्र एक सप्ताह में पुस्तक प्रकाशित कर भारी सहयोग दिया।
इस भारी आयोजन के बाद दो सप्ताह तक ऐसी निढाल हुई कि बस…..
अब थोड़ी हिम्मत हुई तो साझा कर रही हूं। और हाँ ! सार्क जर्नलिस्ट फोरम की अंतरराष्ट्रीय समिति में मुझे भारत की और से सदस्य नामित भी किया गया है। अब और जिम्मेदारी वाले काम निभाने है ।आप लोगों का सहयोग मांगने जल्दी ही आप तक पहुंचूंगी।
* लेखिका मिश्रा सार्क जर्नलिस्ट्स फोरम के केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य हैं ।