दिल्ली । दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध अरबिंदो कॉलेज में भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की 132 वीं जयंती के अवसर पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति एम्प्लॉइज एसोसिएशन के तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आरंभ कॉलेज के प्राचार्य प्रो. विपिन कुमार ने डॉ. अम्बेडकर के चित्र पर माल्यार्पण कर एवं दीप प्रज्वलित कर किया।
इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव प्रो. प्रमोद कुमार आमंत्रित थे । साथ ही इस अवसर पर मुख्य वक्ता डॉ. हंसराज सुमन, डॉ. प्रदीप कुमार सिंह, डॉ.सीमा, श्री रविंद्र सिंह, श्री तरुण कुमार तथा सैंकड़ों कर्मचारी व छात्र भी उपस्थित थे । कार्यक्रम के पश्चात 10 कर्मचारियों को डॉ. अम्बेडकर सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया । सम्मान में उन्हें घड़ी, पैन व प्रशस्ति पत्र दिया गया । यह सम्मान डॉ.हंसराज सुमन व प्रोफेसर प्रमोद कुमार ने दिए ।विशिष्ट अतिथि प्रो. प्रमोद कुमार ने अपने सम्बोधन में कहा कि बाबा साहब एक सच्चे देशभक्त और राष्ट्रवादी थे । वे न केवल विधि विशेषज्ञ थे बल्कि अर्थशास्त्री, साहित्यकार, पत्रकार, राजनीतिज्ञ विशेषज्ञ, समाजशास्त्री एवं युग दृष्टा थे । कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं जिसमें उनका योगदान न रहा हो । वे मात्र संविधान निर्माता नहीं थे बल्कि राष्ट्र निर्माता भी थे।
उन्होने कहा कि बाबा साहेब अम्बेडकर ऐसे इकलौते महान नायक हैं जिनकी जन्मस्थली पर लाखों लोग शीश झुकाने और वहां की पवित्र धूल को माथे लगाने के लिए जाते हैं। उनके सपनों के साक्षात् भारत को देखना हो तो उसके कई प्रमाण सामने आ जायेंगे । उन्होंने बताया कि रिजर्व बैंक का पूरा विधान और संरचना बाबा साहेब के सपनों की ही एक निर्मिति है। उन्होंने यह भी कहा कि वे किसी एक वर्ग के नेता नहीं थे बल्कि सम्पूर्ण विश्व के नेता थे, इसीलिए उन्हें ज्ञान का प्रतीक कहा जाता है ।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. हंसराज सुमन ने अपने उद्बोधन में सामाजिक समरसता के लिए जीवन समर्पित कर देने वाले बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के जीवन संघर्षों एवं उनके द्वारा हासिल उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज दुनिया के लगभग 150 से अधिक देशों में बाबा साहेब की जयंती को मनाया जाता है। यही नहीं बल्कि दुनिया के सर्वाधिक शक्ति शाली समझे जाने वाले राष्ट्रों अमेरिका और योरोप तक में उनके अध्ययन से संबंधित पीठ की स्थापनाएं की गई हैं।
उन्होंने यह भी माना कि पिछड़े वर्ग के लिए उन्होंने जितना संघर्ष किया उसकी एवज में उस समाज को भी उतना ही प्रयास करना चाहिए अन्यथा पिछड़ापान बढ़ेगा ही। हमें बढ़ चढ़ कर उनके विचारों पर अमल करना चाहिए। उन्होंने चर्चा के दौरान आगे कहा कि वे एक जाग्रत आत्मा थे और भारतीय समाज को बहुत आगे ले जाना चाहते थे । डॉ. सुमन ने बताया कि बाबा साहेब रात -रातभर जगकर दलितों, अछूतों व पिछड़ों के उद्धार के लिए कार्य करते थे । वे कहते थे कि जब तक मेरा समाज नहीं जागेगा मैं नहीं सो सकता । उन्होंने आगे बताया कि असल में बाबा साहेब के सपनों का ही भारत देख रहे हैं जो काफी हद तक एक सार्थक दिशा तय कर चुका है किंतु अभी भी बहुत कुछ बाकी है । उन्होंने कहा कि सबसे महत्त्वपूर्ण बात तब होगी जब दलित वर्ग स्वयं अपने उत्थान हेतु आगे बढ़ेगा, तभी उनके सपनों का समाज और राष्ट्र दोनों निर्मित हो सकेंगे ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कॉलेज के प्राचार्य प्रो. विपिन कुमार ने कहा कि बाबा साहेब को किसी एक क्षेत्र में सीमित करके नहीं देखा जा सकता बल्कि वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे । उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब हम सभी देशवासी उनके बताए हुए रास्ते पर चले ।
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने बाबा साहेब का सम्मान के लिए अनेक कार्य किए हैं जिसमें पूरे देश के गरीबों, पिछड़ों के लिए कार्य योजनाएं बनाई गई हैं और ऐसे में जहाँ बाबा साहेब का महत्व बढ़ रहा है वहीं देश के कल्याण की दिशा भी स्पष्ट हो रही है । कार्यक्रम के अंत में डॉ. अम्बेडकर से संबंधित गीतों को तैयार कर उसे मंच पर सफल प्रस्तुति में कु. यशीता बधेल, कु. ललिता व सोभित आदि छात्रों की महत्वपूर्ण भूमिका रहीं ।